About Ajmer
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राजस्थान का हदय, भारत का मक्का, राजपूताना की कुन्जी, राजस्थान का नाका
अजमेर मूल रूप में अजयमेरू नाम से जाना जाता था।
राजा अजयपाल ने ईसा की सातवीं शताब्दी में इस नगर की स्थापना की थी।
अजमेर अरावली पर्वत श्रृंखलाओं की घाटी और तारागढ की तलहटी में बसा हुआ
है। अजमेर शहर दरगााह शरीफ के नाम से भारत में ही नहीं वरन विश्व में
भी प्रसिद्ध है इसी तरह हिन्दुओं का प्रसिद्ध पुष्कर तीर्थराज(ब्रह्मा
जी का प्राकृतिक मंदिर) भी एकमात्र अजमेर में ही स्थित है।अजमेर
तक पहुँचने के लिए.........
सड़क यातायात मार्ग अजमेर जयपुर से 135 कि.मी. दूर है जो रेल और सड़क
यातायात से जुडा है, अजमेर जिले के पूर्व में जयपुर और टोंक जिले,
पश्चिम में पाली, उत्तर में नागौर और दक्षिण
मे भीलवाडा जिले की
सीमाएं हैं। जयपुर निकटतम हवाई अड्डा है जो 135 कि.मी. दूर है।
पर्यटन स्थल |
1. नसियांजी- इसे
Soniji Ki Nasiyanu के नाम से भी जाना जाता है। स्व. सेठ
मूलचन्द सोनी द्वारा इसका निर्माण प्रारंभ किया गया तथा उनके ही पुत्र
स्व. सेट टीकमचन्द सोनी द्वारा सन् 1865 में निर्माण कार्य पूरा कराया
गया। यह एक दिगम्बर जैन मंदिर है जो बहुमंजिला है। इसके मुख्य कक्ष को
स्वर्ण नगरी कहा जाता है। इस कक्ष में सोने से परिरक्षित लकडी की रचनायें
हैं। |
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2. आनासागर- सम्राट पृथ्वीराज के पितामह राजा अरणोराज
अथवा आनाजी द्वारा सन् 1135 ई. में निर्मित यह झील प्राकृतिक सुन्दरता
से सरबोर है। सम्राट जहांगीर ने इस झील के किनारे शाही बाग बनवाया जिसका
नाम दौलतबाग रखा गया था। सम्राट शाहजहां ने सन् 1627 ई. में आनासागर की
पाल पर 1240 फीट लम्बा कटहरा और संगमरमर की पांच बारहदरियां बनवायी
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3 दरगाह ख्वाजा साहिब. अजमेर नगर में तारागढ़ की पहाड़ी की गोद
में बनी ख्वाजा मुइनुद्दीन हसन चिश्ती(र.अ.) (1142-1233 ई.) की दरगाह
ख्वाजा साहब, अजमेर शरीफ और गरीब नवाज नाम से विश्वविख्यात है।
इतिहासकार हरविलास सारदा के अनुसार ख्वाजा साहब का पक्का मजार उनके
इंतकाल के 231 वर्ष बाद सन् 1464 ई. में बनवाया गया। उस समय अजमेर
के सुलतान मो.खिलजी के अधिकार में था। दरगाह की सबसे पुरानी इमारत
बुलंद दरवाजा हैं जो 75 फीट ऊंचा है। दरगााह में अकबर मस्जिद,
निजामद्वार, छोटी व बडी देग, महफिलखाना, छोटी-बडी कब्रें व मजारें हैं।
ख्वाजा साहब का प्रति वर्ष रज्जब माह की एक से छ तारीख तक उर्स मेला
भरता है जिसमें दूर-दूर से जायरीन जियारत करने आते है। |
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4. पुष्कर- तीर्थ राज पुष्कर अजमेर नगर के उत्तर-पश्चिम में
अजमेर से 11 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। मार्ग में सुरम्य घाटी है जो
पुष्कर घाटी के नाम से विख्यात हैै। भारत में ब्रह्मा का एकमात्र एवं
प्राचीनतम मंदिर पुष्कर में ही है। भारतीय धर्मशास्त्रों में 5 प्रमुख
तीर्थ सर्वाधिक पवित्र माने गए हैं जिनमें पुष्कर मुख्य है। पुष्कर झील
में 52 घाट बने हुए हैं। उनमें वराह, ब्रह्मा, और गौ घाट सर्वाधिक
पवित्र माने जाते हैं। यहां रंगनाथजी का मंदिर, वराह मंदिर भी प्राचीन
है।यहां प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ला 8 से 15 दिन के लिए पुष्कर पशु मेले
का आयोजन होता है। |
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5. तारागढ़ - राजा अजयदेव द्वारा निर्मित यह ऐतिहासिक दुर्ग हैं।
यह पहले अजयमेरू दुर्ग, गढ़बीठली, पूर्व का दूसरा जिब्राल्टर के नाम से
प्रसिद्ध था। गढ़ में सबसे ऊंचे स्थान पर निर्मित मीर साहब की दरगाह
दर्शनीय है। यह दरगााह तारागढ़ के प्रथम गवर्नर मीर सैयद हुसैन खिंगसवार
की है। |
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6. अढाई दिन का झोपड़ा - दरगाह के निकट की अढाई दिन का झोंपड़ा मुलतः
प्रथम चैहान सम्राट बीसलदेव द्वारा सन् 1153 ई. में संस्कृत पाठशाला के
लिए बनवाया गया। बाद में शाहबुद्दीन गौरी ने इस विद्यालय को मस्जिद में
परिवर्तित करने का आदेश दिए। इस परिवर्तन का कार्य सुल्तान शमसुद्दीन
अल्तमश के समय में हुआ। इसके मेहराबों पर लिखावट पत्थरों पर खुदी हुई
अरबी तथा नागरी या सूफी लिपी में है। फकीर पंजाबशाह का उर्स यहां लगने
के समय से यह स्थान अढ़ाई दिन का झोंपड़ा कहलाने लगा। |
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